जोर से यहां कुछ मिलता नही,
टूटा गुलदस्ता कभी जुड़ता नही !
ये इश्क़ का खेल है यहां पर,
अरमां तैरते है,आशिक़ तिरता नही !
पहाड़-ए-दर्द दिल से हटता नहीं,
प्यार का बदले प्यार मिलता नहीं!
आशिक़ डूबता है अश्कों में अपने,
पर नक़ाब-ए-यार कभी गिरता नही!
आशिक़ से बैर कभी फलता नहीं,
इश्क़ का ज़ख्म कभी सिलता नही!
आने के बहाने होते हैं तमाम,
जाने का रास्ता कभी खुलता नही!