तेरी आँखों की जो ये पानी सी सीरत है,
वह ए मेरे दुश्मन! मेरे इश्क़ की जुर्रत है
टूटी डाल की जो जलने की किस्मत है
फना होने की वही पतंगों की हिम्मत हैहुआ धोखा मुझे भी है यहां झूठे सवालों से
सच्चे जवाबों की यहाँ हमको भी हसरत है!
तेरी.....
तुझे ढूँढू यहां मैं, तू मिलता नही वहां भी
मिलने बिछड़ने की बता कैसी ये कसरत है!
तेरी....
कभी होते थे जो एहले मेहरबां इश्क़ के,
अब दिलों में उनके भी मीठी सी नफरत है!
तेरी....
रुख मोड़ ले अब पर्दानशिनी के खेल से,
तेरे दीदार के हमे भी थोड़ी सी मोहलत है!