"नारी"

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"नारी को कभी कम ना समझना,

होता है उसमें दुर्गा का वास"

"रूप असली में वो आये,

अच्छे-अच्छे को कर दे खल्लास||"

"जखम और खोकला करके,

चले तोह तुम जाते हो

कभी अपने को जगह रख कर देखो उसकी,

फिर ालेआलम से क्या पाते हो"||

युवा होने की ख़ुशी में, ज्यादा चतुर बनने की कोशिश में

गलतियां भी बहुत की

लड़कपन समझ के सबने माफ भी किया,

मगर शिकारी नजर हर जगह होती है

अपने शिकार पर वैसे ही हवस भरी,

नजर रोम-रोम पर पड़ती है

तो अंग-अंग सहम सा जाता है,

फिर एक छोटी सी भूल भी ज़िन्दगी भर का जख्म देती है

और, युवापन का लड़कपन सिर्फ

एक सपने की तरह ओझल हो जाता है||

-खुशी

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