"ना" भाग-२

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" एक झूठ वास्ते सौ बोलने पड़ते
सही को हिम्मत जुटानी पड़ती,
लेकिन बस गलत को ’ना’ बोलो
तो आगे एक शब्द नहीं होता है।।

इसलिए तो ’ना’ अपने आप में ही,
एक वाक्यांश कहलाता हैं।

ये दुनिया तो जालिम है
’ना’ पर तो टिकती हि नहि,
जो बोले ’हां’ है, वही करता राज है।

कितनी को समझाया और कितनो को बताया,
मगर समझ में किसी के ना आया
उल्टा सभी ने हम को बतलाया
”क्यू, बहन करती हो कमाल
’ना’ शब्द को देती हो,
साकारात्मक भाव।

हमने भी अभी हार नही मानी है
’हां’ और ’ना’ की जंग अभी भी जारी है,
और समाज को भी बतलाना है
की कुछ भी करो
      "ना"      
हमेशा अपने आप में ही एक वाक्य कहलाता है"।।
     

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