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**The poem below is written from Alara's perspective after the leap of 3 years...**

याद आती है तुम्हारी, छूने का दिल करता है तुम्हें।
लेकिन कैसे भूल जाऊं वो रात,
जब तुमने मुझे तोड़ दिया था,
मुझे खोखला कर दिया था।
कैसे भूलूं वो सब?
जब तुमने मेरी रूह को बेजान बना दिया था।

मोहब्बत की थी तुमसे...
इश्क किया था बेपनाह,
लेकिन अब तो बस लगता है कि मैं तुम्हारी शतरंज में रानी भी नहीं बन पाई...
डेढ़ कदम चल रह गई...

बस यही मोहब्बत थी अपनी तारा के लिए?
यही थे वो वादे?
वो रातें जब मैं तुम्हारे सीने पे सर रखकर रोया करती थी,
और तुम मेरे बालों में हाथ फेरकर सब ठीक कर दिया करते थे...
जब हम साथ बैठ तारों को देखते थे...
बस यही था हमारा प्यार?

सोचा था सही इंसान से इबादत की,
क्या पता था एक कातिल को दिल में जगह दे रही थी।
तुम्हारी हर मुस्कान में मैंने अपना सुकून पाया,
तुम्हारी हर बात में अपना जहां बसाया।
पर वो सब झूठ था, छलावा था,
तुम्हारे प्यार का हर रंग बदरंग था।

याद है मुझे वो रातें,
जब खामोशियाँ भी बातें करती थीं।
तुम्हारी आँखों में अपने सपने देखे थे,
तुम्हारे साथ अपने कल को देखा था।
पर अब उन ख्वाबों का क्या करूँ?
जो टूटे काँच की तरह चुभते हैं।

मैंने चाहा था तुम्हें,
तुम्हारी हर कमी के साथ अपनाया था।
पर तुमने मुझे अधूरा छोड़ दिया,
अपनी ही मोहब्बत में गुमराह कर दिया।

अब हर रात मेरी,
तुम्हारी यादों के आँसू पीती है।
हर सुबह मेरी,
तुम्हारे बिना अधूरी सी लगती है।
पर अब मुझे संभलना है,
इस दर्द से आगे बढ़ना है।
क्योंकि तुमसे मिलकर भी,
मुझे खुद को पाना है।

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Hi everyone,Although the target has been completed, the chapter hasn't even been started yet. I'm so sorry, guys. I haven't been well and couldn't check Wattpad or Instagram. In the meantime, I'm sharing a poem I wrote a few days ago. I hope you like it! Please don't forget to vote and comment. I'll try to post the chapter by tonight or tomorrow.Sorry for the delay. Love you all! Take care! ❤️‍🩹❤️‍🩹

REGAL REVELATIONS: Love's unexpected twistsWhere stories live. Discover now