सकारात्मक सोच की शक्ति

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🕉️ *सकारात्मक सोच की शक्ति** 🕉️

“ _जिंदगी में समस्या तो हर दिन नई खड़ी है,
जीत जाते है वो जिनकी “सोच” कुछ बड़ी है!”_

एक  प्रसिद्ध कथन हैं कि इंसान वैसा ही बनता जाता है *जैसी वह सोच* रखता हैं ।सोचने का अधिकार हम सबको हैं ।सोच के कई रंग होते हैं, सोचने के कई ढंग भी होते हैं l
पर कभी हमने सोचा हैं सोच के भी कई प्रकार होते हैं।
*सकारात्मक सोच, नकारात्मक सोच, अच्छी सोच, बुरी सोच, मतलबी सोच, अहंकारी सोच, ईर्ष्यालु सोच, झगड़ालू* सोच, आतंकी सोच , प्यार भरी सोच, आशान्वित सोच और न जाने क्या क्या !

मेरा मानना हैं कि सोच हमेशा अच्छी होनी चाहिए, *क्यूँकि नज़र का इलाज तो मुमकिन हैं पर नज़रिए का नहीं।*
_अगर हम अपनी सोच बदल लेते हैं तो हमारी शख़्सियत बदलते देर ना_ लगेगी । सोच बदल कर तो देखिए जनाब जीवन में संभावनाएँ असीमित हैं ।
*जब सोच की दिशा सही होती है तो ज़िन्दगी के हालात बदल जाते हैं और* सोचने का अंदाज़ बदलते सारी दुनिया अलग दिखने लगती हैं।
कहते हैं सही सोच और पैर की मोच जल्दी ठीक नही होती।
*जिस प्रकार लोहे को कोई बर्बाद नहीं कर सकता लेकिन खुद उसका का जंग उसे बर्बाद कर देता हैं ठीक उसी तरह मनुष्य को कोई नहीं हरा सकता है, पर उसकी स्वयं की सोच ही उसको हरा देती हैं ।हमें जीवन में कभी गुजरी बातो को नही सोचना चाहिए और न ही आने वाले कल के बारे में सोच सोच कर परेशान होना चाहिए, जो आज है बस उसी पल में खुश रहना चाहिए। जिन्दगी हमें हमेशा एक नया पाठ पढ़ाती है, लेकिन हमें समझाने के लिए नहीं बल्कि हमारी सोच बदलने के लिए। दोस्तों जिसकी सोच में आत्मविश्वास* की महक हैं, जिनके  इरादों में हौसले की मिठास है और जिनकी  नीयत में सच्चाई का स्वाद है उनकी पूरी जिन्दगी महकता हुआ गुलाब के समान है ।
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हाय रे लोगों की सोच, कोई सेलिब्रिटी कोरोना पॉजिटिव हुआ तो दुख जता रहे हैं, पुजा- पाठ और दुआएँ दे रहे हैं पर अगर हमारे पड़ोसी पॉजिटिव होते हैं तो हम उनसे घृणा दिखा रहे हैं।
_देश में लाखों लोगों को संक्रमण हुआ हैं, प्रार्थना करनी हैं सभी के लिए करें, दुख जताना है तो सभी के लिए जताएं, अच्छे/बुरे वक्त में ये सेलिब्रिटी नहीं हमारे पडोसी ही काम आएंगे

*यहीं सोच को बदलने की जरूरत है। अगर हमारी सोच बदलेगी तो हमारा समाज भी बदलेगा। जब "सोच" की* दिशा इंसानियत की राह में जायेगी तब हरेक ज़िन्दगी जीवन जीने की चाह पायेगी ।
अतः सोच वह शक्ति है,या यूँ कहे कि वह बल है जो इंसान को आसमान  की ऊँचाई पर पहुंचा सकता है।
*पड़ोसी से याद आया हमारे पड़ोसी के लिये मैंने भी कुछ सोचा हैं । भाई-भाई कह कर अक्साई चीन ले लिया ।अभी लद्दाख लेने की फिराक में थे । कोरोना* भी हमारे पड़ोसीयों ने ही फैलाया हैं।वैसे सोचते सोचते मैंने भी सोच लिया है । पक्का इरादा किया हैं पड़ोसीयों से लेन -देन नही करना, उनका सामान नहीं खरीदना ।
आत्मनिर्भरता सिर्फ एक शब्द नहीं है । यह एक सोच है जिसे हमको अपनी आदत बनना पड़ेगा। हमारी यहीं एक सोच नव भारत का निर्माण करेगी।
हम  जिस दिन अपने सोच पर अपना अधिकार कर लेंगे उसी दिन हमारा ही नहीं बल्कि हमारे देश का भी उत्थान होगा ।
नया दिन नया सवेरा नयी सोच - एक रोटी कम खा लेंगे लेकिन चाईना का बहिष्कार करेंगे ।

जरा सोचिये मेरा ये संदेश साथ में लाया है एक कप अदरक- तुलसी वाली☕☕ चाय ! सोचिये ! सोचिये ! पीजिये ☕और मजा लीजिए !

🕉️सकारात्मक रहें, अच्छा सोचें।🕉️
Good Morning

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