धैर्य

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🕉🕉"धेर्य" - सबसे अच्छा हथियार 🕉🕉

“परिवार के साथ धैर्य प्यार कहलाता है, औरों के साथ धैर्य सम्मान कहलाता हैं, स्वयं के साथ धैर्य आत्मविश्वास कहलाता हैं  और ईश्वर के साथ धैर्य आस्था कहलाता हैं!”

तुलसीदास जी ने श्रीराम कथा में सुखी और सफल जीवन के लिए कई नीतियां बताई हैं।इन नीतियों का अगर पालन किया जाए तो हम जीवन में कई परेशानियों से बच सकते हैं।श्री राम चरित मानस में माता अनसूया सीता माता  से कहती हैं-
“धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी। आपद काल परखिए चारी।”
अर्थात् धैर्य की परख परेशानियों में ही होती है, क्योंकि विपरीत हालात में व्यक्ति क्रोधित हो जाता है और गलती कर बैठता हैं ।जब हमारी इच्छायें पूरी नही होती है तो हमारा क्रोध और अधिक बढ़ जाता हैं । जीवन में कभी कभी ऐसे मोड़ आते है जब चोरों तरफ़ सिर्फ और सिर्फ निराशा ही नज़र आतीं है। किंतु ऐसे समय जो व्यक्ति धैर्य से काम लेता है , वही जीवन में कामयाब होते है । उन्हें सफलता जरूर मिलती है। धैर्य ही सफ़लता की कुंजी और पूँजी है। यदि कर्मों का इच्छानुसार फल प्राप्त करना हो तो प्रयत्न के अतिरिक्त धैर्य की भी बहुत ही आवश्यकता होती है। साथियों, धैर्य" ही है जो, ज़िंदगी की किताब के हर पन्नें को बाँध कर रखता हैं । धैर्य एक कड़वा पौधा है पर उसके फल मीठे ही आते है। धैर्य आपको एक प्रबल व्यक्ति बनाता है। अतः हमें धैर्यशील होना बेहद जरूरी है।। परेशानी में धैर्य धारण करना ही एक विकल्प है,जो हमें समस्याओं से लड़ने की शक्ति देता है।
कबीर दास जी ने कहा हैं —
“धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।"
जीवन की हर तरह की परिस्थिति में धैर्य बनाये रखना ही श्रेष्ठता है । मन में धीरज रखने से सब कुछ होता है। अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे, तब भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेगा! हर चीज का एक सही समय होता है।
श्री राम और शबरी की कहानी कौन नहीं जानता  हैं ।जिसमें सब्र है,वही तो शबरी है और जो शबरी हो गया, उसे ईश्वर के पास नहीं जाना पड़ता, अपितु स्वयं ईश्वर उसके द्वार पर आया करते हैं ।
धैर्य रखिये अगर आज आप अंधेरे में बैठे हैं, पर उजाला भी ज़रूर होगा । हर अँधेरी रात के बाद सूरज जरूर निकलता है ।समय पलटते देर नहीं लगती इसलिए समय साथ है तो विनम्र रहे और समय साथ न हो तो धैर्य रखें। धैर्य  एक ऐसी सवारी है जो अपने सवार को कभी गिरने नहीं देती - ना किसी के कदमो में और ना किसी की नज़रों में ।
“धीरज़ धर मनवा,जीवन की नाव हिलेगी, डुलेगी पर डूबेगी नहीं!”संयम, धैर्य और परिश्रम -  ये तीन मूलमंत्र हमें जीवन में संतुलन बनाने में सहायता करते हैं और आनंद की बात यह है कि ये सब निशुल्क है ।चाहे खेल का मैदान हो या जंग का मैदान जीतने में भी इन्हीं की भूमिका रहती है। संकट के समय धैर्य धारण करना मानों आधी लड़ाई जीत लेना है । हमें धैर्य बनाकर रखना है, नियमों का पालन करना है तभी हम कोरोना जैसी महामारी को परास्त कर पाएंगे।

“सूरमा नही विचलित होते,
एक क्षण नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले हैं लगाते,
काँटों में राह हैं बनाते,
काँटों में राह हैं बनाते!”

चलिये आज से सुबह की चाय में तुलसी, अदरक के साथ साथ धीरज और संयम भी मिलाते हैं । फिर चाय की चुस्कियों के साथ साथ खुशहाल जीवन का भी आनंद उठाते हैं ।

🙏शुभ सुप्रभात🙏

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