ये कहाँ खो गए हम...........

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🕉️ये *कहाँ से कहाँ आ गए हम* ......🕉️

‘Virtual’ यानी आभासी दुनिया में कहीं न कहीं हम असल दुनिया को भूलते जा रहे हैं ।
हमारे भीतर की *मनुष्यता खत्म* होती जा रही हैं और मशीन बनते जा रहे हैं हम सब ! व्यावहारिकता सोचते सोचते हम भावनाओं को खा गये। वो *हामिद जो चिमटा लाता था वो अब मेले मे नहीं जाता बल्कि घर पे बेठ के ‘Twitter’ चलाता हैं और अमिना के* हाथ भी आजकल नही जलते, क्योंकि उसने भी ‘Swiggy’ से खाना मँगवाना सीख लिया हैं ।

आजकल हम सभी के पास फोन है और हम दिन भर उस फोन में व्यस्त रहते हैं। उसे *बार-बार देखते हैं कि कहीं कोई मैसेज तो नहीं आया ! जीवन का हर सुख-दुख ‘Social* Media’ में बयान होता है !

*इंसान जाने कहां खो गये हैं ! वो धड़कते हुए दिल, वो प्यार भरा स्पर्श, वो उमड़ते हुए जज़्बात, वो रुठना-* मनाना, कहाँ हैं ? पुराने जमाने में दोस्ती ‘Password’ की तरह होती थी सालों नहीं बदलती थी और आजकल वाली दोस्ती ‘OTP’ की तरह, काम पूरा और फिर हम आपके हैं कौन ?

“मिस काॅल” देती रहती है ये ज़िंदगी लेकिन पलट के फोन नहीं उठाती ! न जाने जिदंगी का ये कैसा दौर आया हैं - इंसान ख़ामोश है पर ‘Social Media’ अर्थात् ‘Facebook’, ‘Twitter’, ‘Instagram’ और ‘WhatsApp’ पर शोर है ! लोग फ़ोटो ‘Upload’ कर अपनी भावनाओं का Premium भरते हैं । हम उसे ‘Like’ और उस पर ‘Comment’ कर संबंधों की ‘Policy’ चालू रखते है ! आजकल ‘Status’  देख कर अपनों का ‘Mood’ का पता चलता है ! ‘Online’ और ‘Last Seen’ देखकर हम अपनों की ख़ैरियत तक जान लेते हैं ! ‘Typing’ देखकर ख़ुश होते हैं की चलो हमें याद तो किया जा रहा है ! किसी पर गुस्सा आने पर उन्हें ‘Block’ कर उन्हें अपनी ज़िंदगी से ‘Out’ कर देते है !’।काश ऐसा होता कि ‘DP’ और ‘Status’ की तरह, हम अपने हालात और जज़्बात को भी रोज बदल पाते ।
कोरोना काल में रीति-रिवाज़ भी हुए ‘Digital’ !
शादी को ‘YouTube’ पर ‘Live’ करके ‘Link’ रिश्तेदारों को ‘WhatsApp’ पर भेज दिया जा रहा , रिश्तेदार भी  ‘Vedio’ को ‘Like’ कर शगुन का पैसा ‘Paytm’ कर रहें हैं । सोचता हूँ, होठों से ‘Sorry' बोलना, ‘Excuse Me’ कहकर पास से गुजरना ही सिखा हैं हमने , क्या कभी किसी को दिल से ‘Thank You' कहाँ हैं ? सुना हैं ‘Play Store’ पर सब कुछ मिलता हैं।चलिये आज कुछ तूफ़ानी करते है ! हम भी कुछ बिखरे रिश्ते ढुंडते हैं । ‘OLX’ पर उदासी और अकेलापन को बेच कर ‘Amazon’ से ख़ुशियाँ की होम डिलीवरी करवा लेते हैं ! थोडा सा प्यार भरा स्पर्श तो करके देखिये जनाब इंसान का ह्रदय भी ‘Touch Screen’ जैसा ही हैं ! सब कुछ फिर से ‘Actvate’ हो जाएगा ।’Selfie’ नहीं किसी का दर्द खींच कर मुस्कान ‘Upload’ किजीए स्वयं ईश्वर भी ‘Like’ और ‘Comment’ करंगे।

चलिये आज गरम पानी में ‘Green Tea’ नहीं अदरक-इलाइची वाली चाय ☕की चुस्की🎂 लेते हैं और मिलते हैं जल्द ही ....
सुप्रभात

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