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कोई डोर हैं जो आज भी बांधे हुए हैं मुझे उससे
हाथ तो छूट गए कबके
बारिशों में अकसर अकेला भीगने लगा हूं
क्योंकि साथ तो छूट गए कबके।।

ये रातें।Where stories live. Discover now