कोई डोर हैं जो आज भी बांधे हुए हैं मुझे उससे
हाथ तो छूट गए कबके
बारिशों में अकसर अकेला भीगने लगा हूं
क्योंकि साथ तो छूट गए कबके।।
YOU ARE READING
ये रातें।
Poetryउनसे कहो जाकर ज़रा मेरी बातों का जवाब दे कब तक एक तरफा ज़िक्र करू इन सितारों से।
१
कोई डोर हैं जो आज भी बांधे हुए हैं मुझे उससे
हाथ तो छूट गए कबके
बारिशों में अकसर अकेला भीगने लगा हूं
क्योंकि साथ तो छूट गए कबके।।