उसके थोड़ा करीब कोई आए, तो सहम जाती है वो
कोई उसकी तरफ हाथ बढ़ाएं, तो पीछे हटकर मुस्कुराती है वोन सही की समझ, न गलत की वजह, क्या ही जानती थी
उस उम्र में वो तो बस अपनो को अपना सबकुछ मानती थी
अपनेपन के भरोसे पर ही तो उसे उस जालिम के पास छोड़ा था
भाई के रूप में हैवान निकलेगा, किसी ने सपने में भी ना सोचा थापास बुलाकर, प्यार दिखाकर, उस मासूम को समझाया था
कानो में कुछ कुछ फुसफुसाकर अपनी गोद में बिठाया था
कुछ बोलोगी तो पापा से डांट लगवाऊंगा, मुंह बंद रखोगी तो मनपसंद चीज खियालूंगा
पर जब कुछ गलत लगा उसे, अपनी आवाज़ों को वो संभाल ना सकी
मुंह पे हाथ था उसकी आवाज़ों को दबाने के लिए, लेकिन आसुयुं को वो छुपा ना सकीउन हाथो ने जब छुआ था उसे, वो आज भी महसूस करती है वो
रातों को डरती हैं और कही भी अकेले जाने से पहले एक उलझन में पड़ती है वो
ख़ुद से नफरत है उसे, अपने शरीर से घृण आती है
उन हाथों को आज भी अपने ऊपर कही पाती हैसोचा था उस शख्स ने, भूल गई होगी अब तक तो वो
पर ये जख्म भुलाए जाने वालो में से कहा है
अपनी उम्र तक याद नही कितनी थी उस वक्त
पर उससे पूछो कोई क्या हुआ था उसके साथ
हा बहुत छोटी थी वो समझने को की क्या हो रहा है
पर काश इतनी छोटी होती की वो सब भूल चुकी होती वो आजआज भी जब वो सामने आ जाता है, कुछ बोल नही पाती है
वो इस तरह पेश आता है जैसे कभी कुछ हुआ ही नहीं था
किसी को बता नही पाई है आज तक
और ना ही शायद किसी को कभी बता पायेगी वोह
इसलिए नहीं की कोई उसपे भरोसा नहीं करेगा
मगर इसलिए की वो उन आस पास की नजरो का सामना नहीं कर पाएगी
कभी बता भी नही पाएगी की क्यों खामोश थी वो इतने साल
क्यू सब जानते हुए नही बोल पाई वो अपना हाललेकिन हां
लोगो से थोड़ा हटकर रहती है अब वो
भीड़ में सहमी सहमी सी रहती है वो
सिर्फ अंजान से नही अब तो अपनो से भी थोड़ा बचकर रहती है वो
जो कभी खुद नही कर पाई, दूसरो को करने की हिम्मत देती है वो
किसी दिन शायद उसके कर्म लौटेंगे उसके पास
किसी दिन शायद रब देगा उस इंसान को सजा उसके कर्मो की
इस उम्मीद में अब जीती है वोउसके थोड़ा करीब कोई आए, तो सहम जाती है वो
कोई उसकी तरफ हाथ बढ़ाएं, तो पीछे हटकर मुस्कुराती है वो
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ये रातें।
Poetryउनसे कहो जाकर ज़रा मेरी बातों का जवाब दे कब तक एक तरफा ज़िक्र करू इन सितारों से।