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कितना अलग ये जहां हो रहा हैं
हर मासूम चेहरा अंदर से कितना रो रहा हैं
अभी कल ही तो देखा था उसे हंसते हुए जब तक उसकी आंखे भीगी नहीं थी
और आज वो शक्स इतना शांत है की उसे देखने वालो में किसी की पलके सुखी नही

सिर ऊंचा, आखों में सपनो के मुकाम लेके चलते है
हाथ कांप रहे हैं लेकिन दिखावी हिम्मत का आसमान लेके चलते है
दिल ही दिल में मरे जा रहे है, पर मां परेशान हो जायेगी अगर कुछ कहा मैंने तो
एक बस इसी ख्याल से, जिस्मों से भारी बोझ कंधों पे थाम के चलते है

कुछ करना है बस, इन सब से बेहतर बनके दिखाना है
मैं आगे तू पीछे, इस रेस का आखिर कहां अंत ठिकाना हैं
रोज भागकर कदम दुखने लगे है मेरे
पापा से एक वादा किया है, उनके सामने खड़ा होकर कह सकू
पापा जीत गया मैं भी, वो दिन आखिर कब आना है

रोज थोड़ा गिरता हू मगर फिर संभल भी जाता हूं
मां बाप ने खैर मजबूत तो बनाया है इस शक्स को
वो बात अलग है खुद से हारो तो कैसे उठना है ये सीख शायद  सीखना भूल गया या सीखकर भूल गया हूं

पूरी जिंदगी बस यही भागदौड़ में निकल जायेगी
पता नही कब ये खास बनने की चाह से आजादी मिल पाएगी
आम होना अपने आप में कितना खूबसूरत है
जिस दिन समझोगे खास बात खुद तुम्हे ढूंढते आयेगी

हजारों के बीच में खुद को अकेला महसूस करते हो
गले सबसे मिल रहे है पर मिल किसी से नहीं पा रहे
जिनके लिए खुद के उसूल बदलकर हाथ बढ़ाया था तुमने
वो बदले तो फिर खुद की अच्छाई को कुसूर करार करते हो

बस जनाब बात इतना सी है जो समझ आने लगी है अब
जितना लगता है उतना लंबा नहीं है ये सफर
जब तक इस जिंदगी नाम की पहेली को हल करने जाओगे
तब तक आखिरी मोड़ पे खुद को खड़ा पाओगे

तो क्यों ही खुद को दुनियाभर की उलझनों में शामिल करे
आओ थोड़ा खुश रहे और जो पाना चाहते है वो चलते चलते हासिल करे
जिंदगी ही तो है यार, जी लेंगे साथ में मिलकर
कभी तो कुछ दिमाग की कभी कुछ दिल की भी करे।

ये रातें।Where stories live. Discover now