~वोह दर्द~

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इंतजार की इंतेहा तो कबकी हो चुकी थी
इंतजार की इंतेहा तो कबकी हो चुकी थी
फर्क बस इतना था
पहले हम उनके आने के लिए फूल बिछाया करते थे
और अब उन्होंने अपने दिल में हमारे लिए कांटे दाग दिए।
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𝐋𝐚𝐟𝐳Where stories live. Discover now