घर

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एक उमर गुजरी है तलाश में
एक अरसा गुजारा है इनतजार में,

भटके बहुत , तडपे बहुत,
अब आस भी टूट गई,
के कभी रुह को नसीब होगी
एक छांव, एक आशियाना।

आलिशान महल की हसरत ही कब थी,
तलाश तो बस एक घर  की।

let it be #jaanedemujheWhere stories live. Discover now