"कुमार, कृपया इस दास को कक्ष में प्रवेश करने की अनुमति दें ।"परिचारक ने कक्ष के बाहर से पुकारा ।
"अवश्य!",शर्व ने उत्तर दिया।
परिचारक ने कक्ष में प्रवेश कर कहा,"मैं आपको सूचित करने आया हूँ की आप कुछ देर विश्राम कर स्नान कर लें । तत्पश्चात कुमार आयुध कृपया सांझ की शोभायात्रा हेतु उपस्थित हों ।" इतना कहकर वह चला गया ।
...
"कुमार लव ?" मीरा ने कक्ष का द्वार खोलते हुए लव को पुकारा ।
लव आसन पर वातायन के पास बैठा हाथ में पुस्तिका लिए किसी विषय पर अध्ययन कर रहा था । मीरा को पुकारते सुन वह उसे चिढ़ाते हुए बोला,"जी ?"
"ऊपर्व से गुरुजी के पौत्र तुमसे भेंट करने राज-भवन पधारे हैं ।"
इतना सुनते ही वह शीघ्रता से खड़ा होकर बोला,"वे अभी कहाँ हैं?"
"वे पश्चिमी वाटिका में प्रती-"
"इसे पकड़ो" लव ने मीरा के हाथ में पुस्तिका सौंपते हुए एक ही श्वास में कहा,"जाते समय इसे पुस्तकालय की एक-सौ बाईसवीं श्रृंखला में रख देना । क्षमा करना मुझे शीघ्र ही जाना होगा ।" इतना कहकर वह स्वयं कक्ष से बाहर चला गया जबकि मीरा वहीं ज्यों की त्यों खड़ी थी ।
...
वाटिका में एक सुंदर सज्जन युवक उपस्थित था । उसकी चलने की शैली मानो सुझाती हो की वह कुलीन हो । उस पर गौरव की आभा छाई हुई थी । उसके मुख पर शांत व नम्र भाव, उसके ओठों पर अनायास ही एक स्मित था । उसके केश लंबे व काले थे जिनका अर्ध भाग लस्त व अर्ध भाग मुक्त था । उसने श्वेत वस्त्र व अल्पतम आभूषण धारण किए थे । वह किसी प्रतिष्ठित विद्वान सा लग रहा था ।
"भ्राता शंस !" लव ने दूर से हवा में हाथ लहराते हुए वाटिका के मध्य खड़े युवक को पुकारा । शंस ने भी मुस्कुराकर उसकी ओर हाथ हिलाया । लव दौड़ते- दौड़ते उसके निकट पहुँचा और झुककर चरण-स्पर्श किए ।
"अरे-अरे दंड प्राप्त होगा मुझे यदि किसी को ज्ञात हो गया कि मैंने स्वयं राजकुमार से चरण-स्पर्श कराएँ हैं।" युवक ने मुस्कुराकर कहा ।
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शाश्वतम् प्रेमम्(Eternal love)
Historische Romaneश्वास का मंद स्वर,केश इधर-उधर बिखरे हुए,उसके ओठों पर गहरा लाल रंग छाया हुआ,अर्धचंद्र की चांदनी में उसका मुख उन पारदर्शी नयनों से अलौकिक प्रतीत हो रहा था .... An Indian historical bl (युवालय) written in Hindi. Starts on - 31st March, 2023 {Friday}