वो बर्फीली रात -5

134 3 0
                                    

शायद ये शुरुआत थी। मेरा जो भी था। उसे पीछे छोड़ जाने की,
की तभी मेरी मौसी मेरे पास आई और बोली चलो नैयंसी कुछ खा लो बहुत देर हो गई है। अब वैसे भी तुम्हारा यहां कुछ काम भी नहीं है। सभी लोग खाना खाने चले गए हैं। मैंने कहा ठीक है।

और मैं मौसी के साथ अपने रूम चली आई। वहा बैठे बैठे ही मैं थक गई थी। इसलिए मैंने जल्दी से खाना खाया। और अपने बिस्तर पर लेट गई। कल मेरी फिलाइट है और मैं यहां से चली जाऊंगी। काफी लंबे समय के लिए।

बस यहीं सोच कर मेरी आंखो से पानी आ गया। और मेरी आंखे भर आई। इन भरी हुई आखों के पानी में मुझे मेरे बचपन की सभी पुरानी यादें, वो बचपन के सुनहरे पल दिखने लगे। वो बिता हुआ कल मेरा, मेरी बीती हुई आधी जिंदगी, मेरा सब कुछ तो यही था।

बस यहीं सोचते सोचते मेरी आंख लग गई। और मैं सो गई।
सुबह मम्मी की सिसकियों से मेरी आंख खुली। मम्मी मेरे पास बैठी रो रही थी। मैंने उठ कर जट से मम्मी को गले से लगा लिया।

और मैं भी रो आई। मम्मी ने मेरे आंसुओं को पूछते हुए कहा। चलो जल्दी से तैयार हो जाओ। तुम्हें आज जाना भी हैं। और वो अपने आंसुओं को पोछती हुई रूम से बाहर चली गई। मैं मम्मी को अपने पास से दूर जाते हुए बस देखती रह गई।

की मम्मी रूम में फिर वापस आई। और बोली तुम अभी तक बिस्तर से नहीं उतरी हो। और रोज जैसा मम्मी को देख कर मैं जट से खड़ी हो गई। उन्होंने मुझे कपड़े दिए और कहा अब जल्दी से तैयार हो जाओ तुम लेट हो रही हो। मैंने तुम्हारा बैग लगा दिया है।

बस जल्दी से नहां कर आओ, और नाश्ता कर लो। आदित्य भी आ गया है। वो नाश्ता कर रहा है नीचे, और मेरे गालों को खींचते हुए मम्मी चली गई।

और मैं नहाने चली गई। मैं नहाके जल्दी से तैयार हो गई। और नाश्ता करने नीचे आई। मेरा नाश्ता टेबल पर सजा हुआ रखा था। और मम्मी बैठी हुई मेरा ही इंतजार कर रही थी। मैंने मम्मी के पास जाकर कहा " मम्मी" पापा कहा है। मम्मी ने कहा वो बाहर आदित्य के साथ तुम्हारा सामान गाड़ी में रखवा रहे है। तुम जल्दी से अब नाश्ता कर लो, आदित्य ने कहा है। की तुम लेट हो रहे हो।

वो बर्फीली रातजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें