वो बर्फीली रात पार्ट -6

118 3 0
                                    

हम लोग एयरपोर्ट से बाहर आ गए। टैक्सी एयरपोर्ट के बाहर ही खड़ी हमारा इंतजार कर रही थी। शायद आदित्य ने पहले ही बुक कर दी होगी। आदित्य हमारा समान टैक्सी में रखवाने लगा। मैं खड़ी बस आदित्य को देख रही थी।

की आदित्य ने कहा अब अंदर भी बैठो कब तक बाहर खड़ी रहोगी। और मैं टैक्सी के अंदर बैठ गई। पास वाली सीट मैने आदित्य के लिए छोड़ दी। उसने जैसे ही समान रखा और वो टैक्सी की आगे वाली सीट पर जाकर बैठ गया।

मैं थोड़ा हैरान हो गई। आदित्य मेरे आगे वाली सीट पर बैठा था।
उसने डिराइव से कहा चलिए काका। मैं कार मैं बैठी बस यही सोच रही थी। की जब से मैं आदित्य के साथ आई हूं आदित्य मुझसे बात ही नहीं कर रहा हैं।

क्या वो पहले से ही ऐसा था। या कुछ बात हुई है। मैं कुछ पुछु भी तो कैसे वो पास भी तो नहीं बैठ रहे हैं। पता नही पर मुझे घबराहट होने लगी थी। की टैक्सी रुक गई। आदित्य का घर एयरपोर्ट के पास ही था।

टैक्सी रुकने पर आदित्य टैक्सी से बाहर निकल कर सीधा घर के अंदर चला गया। उसने मुझसे एक बार भी नहीं कहा घर आ गया है। अंदर चलो। यहां तक उसने ये भी नहीं बताया कि ये उसका घर है। और मैं टैक्सी के अंदर बैठी तंग रह गई।

मुझे सदमा सा लग गया था। कही आदित्य के साथ मेरा ये रिश्ता जबरदस्ती का तो नही था। मैंने खुद को संभालते हुए कहा नहीं नहीं सगाई से पहले तो वो खुद आया था, और सब से अच्छे से बात भी की थी। सगाई वाले दिन वो,,

की कार की खिड़की पर दस्तक हुई । ड्राइवर वाले काका थे। मैंने खिड़की का सीसा नीचे किया। तो काका ने कहा बैठा बाहर आ जाओ। उन्होंने मेरे लिए। कार का गैट खोल दिया। मैंने बाहर निकल कर देखा। मैं एक बेहद खूबसूरत बंगले के सामने खड़ी थी।

वैसे मेरा भी घर इस बंगले से कम नहीं था। मेरा घर तो महल था।
मेरे पापा एक रिटायर्ड फौजी जो थे। हमारे पूरे गांव में एक मेरा ही घर था जो बहुत बड़ा था। बिल्कुल महलों की तरह, मैं सोच ही रही थी।

वो बर्फीली रातजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें