All rights reserved. No part of this publication may be reproduced, distributed or transmitted in any form by any means without the prior written permission of the Author.It's a unique, short, crisp collection of poems and shayaris varying with different emotions and perceptions.
" ख्यालों की उलझन को लिख के जताना हो,
या कश्ती से मंज़िल को पार लगाना
गुलिस्तां-ऐ-लेख हैं दास्तां कुछ ऐसी
जहाँ दिल का ना हो कर भी,
दिल लगाना हो। "
~अश्वेराA new start towards a new path!
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गुलिस्तां-ऐ-लेख
Poetryख्यालों की उलझन को लिख के जताना हो, या कश्ती से मंज़िल को पार लगाना गुलिस्तां ऐ लेख हैं दास्तां कुछ ऐसी जहाँ दिल का ना हो कर भी, दिल लगाना हो। A short collection of heart to heart shayaris and poetries. Dive in to know more!