खामोश लब

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जब लब खामोश हों
और आँखे बोलती हों
राज सारे आरज़ुए दिल
के खोलती हों .........

की हौले से तू पलकों में आना
मेरी हर तमन्ना और आरज़ूओं को
तुम महसूस कर पाना .....

जो देखो तुम उनमे गहरा समुन्दर
तो एक बार उसमे तुम डूब जाना
तुम्हे उसकी गहराई का अंदाज होगा
मेरा राज़ उस दिन तेरे पास होगा

की गम के अंधेरे में खो जाओ जिस दिन
मेरी आँखों को तुम याद करना .........
की एक बार फिर उसकी गहराई में उतरना

अपने गम को भूल जाओगे तुम
बिना कुछ कहे उन आँखों से निकल
जाओगे तुम ...................

मनीषा

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