दिल की बात

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कोई दिन रात तुम्हारी बात करता है
पर तुम्हें क्या खबर।
कोई मुस्कुरा के तुम्हें याद करता है
पर तुम्हें क्या खबर।
कोई तुम्हारी खुशियों की दुआ करता है
पर तुम्हें क्या खबर।
कोई नम आंखों से तुम्हारा इन्तजार करता है
पर तुम्हें क्या खबर।
कोई चुपके से तुम्हें प्यार करता है
पर तुम्हें क्या खबर।
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आंसुओं को अपने यू ही ना छुपाया करते हैं
दुनिया से बचा के तुमको अपने दिल में बसाया रखते हैं
अकेले में तुमसे ही तो हम बतलाया करते हैं
जो है वही अच्छा इस दिल को समझाया करते हैं
गिला हम आपसे नहीं अपनी मजबूरियों से किया करते हैं

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