अंत

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उसकी आंखों में मोहब्बत के निशान मैं ढूंढती रही
उस मोहब्बत के जो राहों में दम तोड़ रही थी कहीं
क्या खूब सरे बजार उसने तमाशा बनाया है
दिल चीर के मेरे इश्क को कफन पहनाया है
नजरों में जो बसा था बनके प्यार का नूर
साथ रह के भी वो हो गया है मेरे दिल से दूर
जो सबसे अपना लगा था हुई हूं उसी से बेगानी
खुबसूरत सी लगी थी जो खत्म हो गई वही कहानी।

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