ख्वाब, सपने, याद, प्यार

461 19 10
                                    

ख्वाबों में मेरे जो आ के गया
सपना नया एक दिखा के गया
क्या दिल भी वो मेरा चुरा ले गया
जो बेचैनी सी एक जगा के गया।
---------------------------------------------------------
सपनों में मेरे जो आने लगा
क्या उसको जरा भी है ये पता
कोई मिले गर उससे तो बताये मुझे
क्या ख्वाबों में देखता है वो भी मुझे।
---------------------------------------------------------
क्यों ख्वाबों में आते हो, क्यों इतना मुझे सताते हो
बस इतना बतला दो तुम मुझको, क्यों इतना याद आते हो
एक अनछुआ एहसास हो, पर कुछ यूं छू जाते हो
सपनों की उस दुनिया में, संग अपने ले जाते हो
ख्वाबों की वो तस्वीर, जब सामने ले आते हो
आखों से तुम जाना, दिल में ही बस जाते हो
दिल में बस के तुम ही तो, धड़कना इसे सिखाते हो
चुपके से तुम मुझको, अपना बना जाते हो
जाते जाते तुम कितने, सवाल छोड़ जाते हो
बस इतना बतला दो तुम मुझको, क्यों इतना याद आते हो।
---------------------------------------------------------
महफिल की उस भीड़ में दोस्तों के बीच में
जब तन्हा महसूस करते हैं, ये आसु पूछते हैं हमसे
क्यों प्यार करते हैं तुमसे
झूमते उस सावन में सुहाने उस मौसम में, ये पुरवाई पूछती है हमसे
क्यों प्यार करते हैं तुमसे
दिन के उजाले में रात के अंधेरे में, मेरे ख्वाब पूछते हैं मुझसे
क्यों प्यार करते हैं तुमसे
तुमसे जुड़ी इन सासों से दिल के दबे अरमानों से, ये धडकन पूछती हैं इनसे
क्यों प्यार करते हैं तुमसे।
---------------------------------------------------------
कहते हैं मोहब्बत है एक इंतजार
है एक इंतजार जिसकी ना कोई हद
जिसकी ना कोई हद है किया इतना प्यार
है किया इतना प्यार कि वो समझ ना सके
वो समझ ना सके मेरे जज्बातों की गहराई
जज्बातों की गहराई में बस वही है वही
है वही हा वही जिसको दिल है दिया
जिसको दिल है दिया एक तू ही तो है वही।
---------------------------------------------------------
इस अर्श-ओ-फर्श के बीच चांद तारों के अंजुमन में अपना आशियाँ बना लिया होता
अपनी एजियत बयान कर इन्हीं से याराना बना लिया होता
ना अंधेरों का खौफ ना सवेरे की फिकर
यहीं अपने ख्वाबों का मुकम्मल जहाँ बना लिया होता।

Jazbaatजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें