The Unplanned Rendezvous

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जँगल बहुत ही गहरा था, उल्लुओं की आवाज इसे और डरावना बना रही थी, हम काफी वक्त से चले जा रहे थे, एक खण्डहर देख के हम रुके, धारा ने मुझे बाहर रुकने का इशारा किया और फिर अन्दर चली गयी,

उसके अन्दर जाने के कुछ देर बाद ही उसकी चीख सुनाई दी, मैं भागता हुआ अंदर गया, वहाँ एक गहरा खड्डा था, इतना कि नीचे सिर्फ़ अँधेरा दिख रहा था।

"मैं ठीक हु"-अंदर से आवाज आई.

मैं भी उस में कूद गया।

अन्दर काफी अँधेरा था, धारा ने अपने पास रखी एक मशाल को जलाया और हम उस मशाल के साथ आगे चलने लगे, ये बस एक खड्डा नहीं था, ये एक सुरँग थी और शायद ये ही हमे अवनि तक ले जाएगी।

सुरँग काफी पुरानी थी पर अभी भी अच्छी हालत में थी, धारा ने कहा कि हमे और जल्दी करनी चाहिए,

"तुम्हे मेरी तरह तेज़ी से दौड़ना होगा"

"पर तुम एक वैम्पायर हो धारा मैं तुम्हारी बराबरी नहीं कर सकता"

"तुम कर सकते हो बस इस पर ध्यान दो की अवनि को तुम्हारी ज़रूरत है"

"मेरी बात तो सुनो ..." मेने कहा पर वह वहाँ से चली गयी।

मैंने खुदको अकेला पाया, मैंने अवनि के बारे में सोचा और दौड़ने लगा और देखते ही देखते मेरी स्पीड पता नहीं कैसे काफी तेज हो गयी, मैं धारा के बराबर था।

~~~

हम सुरंग से बाहर आ चुके थे फिर से जँगल में।

"धारा मैं ये कैसे कर पाया"-मेने पूछा।

"मैं बताता हूँ"-किसी ने कहा और वह सामने आया।

"विवान ..."-धारा ने आश्चर्य से कहा।

"तो मैं बताता हुँ, तुम यह इसलिये कर पाए क्योंकि तुम भी वैम्पायर हो"-विवान ने लगभग गुरते से कहा "क्योंकि मैंने ही तुम्हे वैम्पायर बनाया था, गुछुपानी...भूल गए"

"नही मैं नहीं हो सकता"-मुझे पता नहीं चल रहा था कि मेरे इमोशन्स कैसे होने चाहिए.

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