डार्क नाइट - पार्ट 2

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वह जुलाई की एक रात का आख़िरी पहर था। कबीर की रात प्रिया के ईस्ट लंदन के फ्लैट पर उसके बिस्तर पर गुज़र रही थी। प्रिया कबीर की नई गर्लफ्रेंड थी। प्रिया के रेशमी बालों की बिखरी लटों सा सुर्ख उजाला रात के सुरमई किवाड़ों पर दस्तक दे रहा था। प्रिया ने अपने बालों की उन बिखरी लटों को समेटा और कन्धों पर कुछ ऊपर चढ़ आई रजाई को नीचे कमर पर सरकाया। मखमली रजाई उसके रेशमी बदन पर पलक झपकते ही फिसल गई। जैसे वार्डरोब मालफंक्शन का शिकार हुई किसी मॉडल के जिस्म से उसकी ड्रेस फिसल गई हो। रात भर कबीर के बदन से लग कर बिस्तर पर सिलवटें खींचता उसका नर्म छरहरा बदन लहरा कर कुछ उपर सरक गया। उसकी गर्दन से फिसल कर क्लीवेज से गुज़रते हुए कबीर के होठों पर एक नई हसरत लिपट गई। उसकी छरहरी कमर को घेरी कबीर की बाँहें कूल्हों के उभार नापते हुए उसकी जाँघों पर आ लिपटीं। एक छोटे से लम्हें में कबीर ने प्रिया के बदन के सारे तराश नाप लिए। तराश भी ऐसे कि एक ही रात में न जाने कितने अलग साँचों में ढले हुए लगने लगे थे।

कबीर ने करवट बदल कर एक नज़र प्रिया के खूबसूरत चेहरे पर डाली। रेशमी बालों की लटों से घिरे गोल चेहरे पर चमकती बड़ी बड़ी आँखों से एक मोहक मुस्कान छलक रही थी। उसका बेलिबास मखमली बदन अब भी कबीर के होंठों पर लिपटी ख्वाहिश को लुभा रहा था, मगर कबीर की नज़रें जैसे उसकी आँखों के तिलिस्म में खो रही थीं। जैसे नज़रों पर चले जादू ने होठों की हसरत को थाम लिया हो। अचानक ही कबीर को अपने दाहिने गाल पर प्रिया की नर्म हथेली का स्पर्श महसूस हुआ। उसकी नाज़ुक उँगलियाँ कबीर के चेहरे पर बिखरी हल्की खुरदुरी दाढ़ी को सहला रही थीं।

'लापरवाह!' प्रिया की उन्हीं तिलिस्मी आँखों से एक मीठी झिड़की टपकी।

दाहिने गाल पर एक हल्की सी चुटकी काटते हुए उसने कबीर के हाथ को अपनी जाँघ पर थोडा नीचे सरकाया। गाल पर ली गई चुटकी कबीर को प्रिया की मुलायम जाँघ के स्पर्श से कहीं अधिक गुदगुदा गई।

प्रिया ने अपनी बाईं ओर झुकते हुए नीचे कारपेट पर पड़ी ब्रा उठाई और बिस्तर पर कुछ ऊपर सरक कर बैठते हुए कत्थई ब्रा में अपने गुलाबी स्तन समेटे। कबीर की हथेली अब उसकी जाँघ से नीचे सरककर उसकी नर्म पिंडली को सहलाने लगी थी। कबीर के भीगे होठों की ख्वाहिश अब उसकी मुलायम जाँघ पर मचलने लगी थी। रजाई कुछ और नीचे सरककर उसके घुटनों तक पहुँच चुकी थी। प्रिया ने घुटनों से खींच कर रजाई फिर से कमर से कुछ ऊपर सरकाई। खुरदुरी दाढ़ी पर रगड़ खाते हुए रजाई ने कबीर की आँखों में उतर आई शरारत को ढक लिया। उसी शरारत से उसने प्रिया की पिंडली पर अपनी हथेली की पकड़ मजबूत की और उसकी दाहिनी जाँघ पर अपने दांत हल्के से गड़ा दिए।

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