डार्क नाइट - पार्ट 6

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कबीर के अगले कुछ दिन बेहद बेचैनी में बीते। जो हुआ वह अचरज भरा था, जो हो सकता था वह कल्पनातीत था। कबीर ने सेक्स के बारे में पढ़ा था, काफ़ी कुछ सुन भी रखा था, फिर भी जो कुछ भी हुआ वह उसे बेहद बेचैनी दे रहा था। जिस समाज से वह आया था वहाँ सेक्स टैबू था, जिस परिवेश में वह रह रहा था वहाँ भी सेक्स टैबू ही था। सेक्स के बारे में वह सिर्फ़ समीर से बात कर सकता था, मगर वह समीर से बात करने से भी घबरा रहा था। उसे घबराहट थी कि कहीं समीर के सामने वह टीना के साथ हुई घटना का ज़िक्र न कर बैठे। इसलिए अगले कुछ दिन वह समीर से भी किनारा करता रहा। जब सेक्स जीवन में न हो तो वह ख़्वाबों में पुरज़ोर होता है। कबीर के ख़याल भी सेक्सुअल फैंटेसियों से लबरेज़ हो गए। फैंटेसी में पलता प्रेम और सेक्स हक़ीक़त में हुए प्रेम और सेक्स से कहीं अधिक दिलचस्प होता है। फैंटेसियों को ख़ुराक भी हक़ीक़त की दुनिया से कहीं ज़्यादा किस्सों और अफ़सानों की दुनिया से मिलती है। कबीर की फैंटेसियाँ भी फिल्मों, इन्टरनेट और किताबों की दुनिया से ख़ुराक पाने लगीं। पर्दों और पन्नों पर रचा सेक्स चादरों पर हुए सेक्स से कहीं अधिक रोमांच देता है। कबीर को भी इस रोमांच की लत लगने लगी।

फिर आई नवरात्रि। नवरात्रि की जैसी धूम बड़ौदा में होती है उसकी लंदन में कल्पना भी नहीं की जा सकती। मगर लंदन में भी कुछ जगहों पर गरबा और डांडिया नृत्य के प्रोग्राम होते हैं, और कबीर को उनमें जाने की गहरी उत्सुकता थी। अपनी जड़ों से हज़ारों मील दूर पराई मिट्टी पर उसकी अपनी संस्कृति कैसे थिरकती है इसे जानने की इच्छा किसे नहीं होगी। अगली रात कबीर समीर के साथ गरबा/डांडिया करने गया। अंदर डांस हॉल में जाते ही कबीर ने समीर के कुछ उन साथियों को देखा जो उस दिन उसकी पार्टी में भी आए थे। समीर के साथियों से हाय-हेलो करते हुए ही अचानक कबीर की नज़र मिली टीना से। टीना से नज़रें मिलते ही कबीर का दिल इतनी ज़ोरों से धड़का कि अगर डांस हॉल में तबले और ढोल के बीट्स गूँज न रहे होते उसके दिल की धड़कने ज़रूर टीना के कानों तक पहुँच जाती।

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