डार्क नाइट - पार्ट 9

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कबीर के हाथ एक बार फिर प्रिया की सुडौल टाँगें सहला रहे थे। हिकमा के पैरों से उठने से लेकर प्रिया के बिस्तर तक पहुँचने के बीच गुज़रे समय में कबीर ने नारी देह और मन के कई हिस्सों को टटोला था और इस स्पर्श से नारी प्रेम और सौंदर्य का संगीत छेड़ने की कला भी सीखी थी। प्रिया से कबीर की मुलाकात समीर की दी हुई एक पार्टी में हुई थी। प्रिया को देखते ही एक पल के लिए कबीर की साँसें थम सी गईं थीं और उसकी फैंटसी का संसार जी उठा था। जैसे बोतल से उछल कर शैम्पेन की धार भीगने वाले को एक हल्के सुरूर में डुबा देती है, प्रिया की अल्हड़ चाल से छलकती बेपरवाही उस पर एक धीमा नशा कर चली थी। सिल्क की काले रंग की चुस्त और ओपन बैक ड्रेस में प्रिया के छरहरे बदन का हर कर्व उसकी चाल से उठती ऊ ला ला की धुन पर थिरकता सा दिख रहा था। जितने कम कपड़े उसके बदन पर थे शायद उससे भी कहीं कम वर्जनाएँ उसने अपने मस्तिष्क पर ओढ़ी हुई थीं। खुले गोरे कन्धों पर झूलते गहरे भूरे बालों में लहराती ब्लॉन्ड हाइलाइट्स सफ़ेद संगमरमर पर गिरते पानी के झरने सी लग रही थीं। रेशमी लटों से घिरे गोल चेहरे पर बड़ी बड़ी आँखों में तैरता तिलिस्म उसमें डूब जाने का उन्मुक्त आमन्त्रण देता सा नज़र आ रहा था। प्रिया की उन्हीं तिलिस्मी आँखों से कबीर की आँखें मिलीं और उसकी ठहरी हुई साँसें तेज़ हो गईं।

'हाय, आई ऍम कबीर' उसने आगे बढ़ कर मुस्कुराते हुए कहा।

'प्रिया'

'आर यू लूकिंग फॉर समीर?'

'यस! यू नो वेयर इस ही?'

'समीर मुझ पर एक अहसान करने गया है' कबीर ने एक शरारती मुस्कान बिखेरी जो प्रिया की चमकती आँखों में कुछ उलझन भर गई।

'अहसान? कैसा अहसान?'

'अहसान ऐसा कि मैं आप जैसी खूबसूरत लड़की को रिसीव कर सकूँ'

'ओह! इन्टरस्टिंग, थैंक्स बाय द वे' प्रिया की आँखों की उलझन एक शर्मीली मुस्कान में बदल गई।

'ये बुके आप मुझे दे सकती हैं। आपके पास तो वैसे भी फूलों से कहीं ज्यादा खूबसूरत मुस्कान है' कबीर ने प्रिया के हाथों में थमे लिली और गुलाब के फूलों के खूबसूरत गुलदस्ते की ओर इशारा किया।

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