एक अनकहा दर्द मा-बाप का

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हर दिन एक दर्द से उभर कर
उन्होंने हमें पाला था,
पर हम में से कुछ ने उन्हें
क्यों अपने घर से निकाला था?

जब हुई पैदा संतान,
तो ऊपरवाले की नेमत उन्होंने समझा,
फिर क्यों जब हो गए वो बुज़ुर्ग
तो हमने उसे उनकी कायनात समझा?

जन्म से ले कर जवान होने तक,
वो करते रहे दुआएं हमारी सलामती की।
पर किया क्या हमने, जब हो गए वो बुज़ुर्ग!
दिखाया रास्ता वृद्धाश्रम का।

आज मेरी सबसे एक गुज़ारिश है खास,
हो अगर थोड़ा सा समय तो सोचना ये मेरी बात।
अगर उन्होंने हमें पाला न होता,
तो क्या होता वजूद हमारा दुनिया के साथ?

                                                 

                                                -पुलिन भारती

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