यार

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इस खुशनुमा माहौल में,खुशियों की सौगात कई।
यारों की बारात के साथ,आशिकों की ये जात नई।
ख़ामोशी से अक्सर ही वो बयान कुछ और ही करते हैं,
बस मन मे रख कर ही बात, वो किसी खास पर मरते हैं।

पर यारों की ये जात होती बहुत खराब है,
अपने यार की आशिक़ी के खातिर दिखाते सपने नायब हैं।
सपनों में उस खास का होना,
फिर उस खास को अपनी ज़िंदगी बना देना,

अक्सर ही उस खास के खातिर,
बन जाते हैं कई आशिक़ काफिर।
पूरी दुनिया अक्सर कहती ये बात है,
बिन यार आशिकों की खराब ये जात है।

वापस उस खास से यार पर आते हैं,
क्योंकि बुरे वक्त में अक्सर ही ये यार काम आते हैं।
कभी मिली कोई खुशी तो खुश सबसे ज्यादा ये हो जाते हैं,
छोटे छोटे लम्हों को यह यार ही तो खास बनाते हैं।

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