चांदनी

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मेरे चाँद को मैं देख सकता हूं,
छू सकता नहीं,
उसकी चांदनी बहुत हसीन है,
पर उसे बयां कर सकता नहीं।
तूफां तो काफी आए, पर
गिर सकता नहीं,
क्योंकि,
उसकी चांदनी से नज़रे हटा सकता नहीं।

दर्द है, महसूस कर सकता नहीं,
दिल , एक ही है, बाट सकता नहीं,
साँसे खुद से जुदा कर सकता नहीं,
क्या करूँ,
उसकी चांदनी से नज़रे हटा सकता नहीं।

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