शिकार

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मौत के इंतजार में थे हम,
उनकी नजरें टहल रही थी,
अपने नैनों के खंजर से,
हमारा शिकार कर रही थी।

दूरियां बहुत देखी थी हमने,
अकेले बहुत रहे थे हम,
अब उनके करीब जाने को,
शिकार बन रहे थे हम।

आँख लड़ी उनकी, मेरी अखियों से,
काफी दूर खड़ी थी वो मुझसे फिर भी,
शिकार बन गए थे हम,
घायल हो चुके थे हम,
घायल हो चुके थे हम।

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