Chapter 1

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रात अपने सन्नाटे की चादर लपेट कर बहुत ही बाखूबी से गुज़र रही ! कही दूर किसी कुत्ते के भौंकने की आवाज सोते हुओं को हल्का सा जगा जाती थी लेकिन सर्द रात में कोई भी अपने कम्बल की आगोश में से निकलना नही चाहता था !

लेकिन दो आंखें ऐसी थी जो सोते हुए भी जाग रही थी क्योंकि उन आंखों में एक ही धुंधला सा सपना था जो हर रात आकर नींद को कोसों दूर ले जाता था !

वो एकदम चारपाई पर उठ कर बैठ गई ! और इतने सर्द मौसम में भी उसके चेहरे पर पसीने की इक्का दुक्का बूंदें उभर आई थी !
उसने अपने आसपास देखा , सब गहरी नींद में सो रहे थे ! कोई इस दुनिया में नहीं था सब नींद के साथ किसी और ही दुनिया की सैर कर रहे थे !

कितना सुकून था सबके चेहरों पर ! लेकिन वो बैठी सोच रही थी कि उसकी नींद कहां है ? उसका सुकून कहां है ?

वो मात्र 19 साल की ही तो थी सब उसे अवनी कह कर बुलाते थे ! उसकी उम्र की लड़कियां सुन्दर ख्वाब देखकर रोज नींद की बाहों में चली जाती थी !

लेकिन उसको तो रोज एक ही सपना हर रात आकर उसकी नींद छीन कर ले जाता था !
क्या बैर था उस सपने का अवनी की नींद से ?
अवनी उस सपने को समझ भी नहीं पाती थी ! वही एक ही धुंधला सा साया ज़ो उसे पहचान में भी नहीं आता था ! बस एक आवाज आती थी उस धुंधले साये की जो अवनी को साफ सुनती थी !

" टांगें पूरी खोल !! हाथ पीछे कर ! अंदर पूरा जाने दे ! फिर वो धुंधला साया नीचे लेटी औरत के मुंह पर तमाचो की बौछार कर देता है ! जब वो धुंधला साया उस औरत को बेरहमी से मारता था तो अवनी की नींद सहम कर खुल जाती थी !

बस यही धुंधला सा आधा अधूरा सा सपना उसे हर रोज़ आकर परेशान करता था ! ना उस औरत की शक्ल साफ दिखती थी ना उस आदमी की !

जब अवनी छोटी थी तब तो इस सपने का मतलब समझ नही पाती थी तब भी वो डर कर उठ जाती थी लेकिन अब वो बडी हो गई थी उसे अब चीजें समझ आती थी ! कि एक आदमी एक औरत के साथ जबरदस्ती कर रहा है !

पर क्यों ? कौन है वो औरत ? कौन है वो आदमी ? इन सवालों के जवाब अवनी को आजतक नही मिले !

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