Chapter -5

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अवनी कैंटीन के पीछे की तरफ पहुंच गई उसने पीछे मुडकर देखा तो गीता उसकी तरफ ही देख रही थी .... अवनी ने गीता को आंखों से इशारा किया और थोड़ा और आगे की साइड को चल दी !!!!

तभी दीवार के पीछे खड़े विनय ने उसे हल्के से आवाज दी ,तो अवनी ने पलट कर देखा तो विनय दीवार से सट कर खड़ा था !!!!

अवनी बिना कदम हिलाए वहीं से बोली " क्या बात है बोल ? क्यों बुलाया मुझे यहां ?

विनय आंखों में बेशर्मी भर कर" इतनी दूर से पूछेगी तो थोड़े ना बताऊंगा !!! पास आ !!!!

अवनी "देख विनय !!! कोई बात है तो बता यही ,नहीं तो मैं जा रही !!!!!

विनय"" देख जाना है तो चली जा,कर क्लास में फिर तंग करुंगा!!!!

अवनी गुस्से में" तो ???? क्लास में तंग करेगा तो कर लेना फिर ,जो करने के लिए मानी थी ना तो वो नहीं करुंगी समझें तुम !!!!!!

अवनी अपनी बात कह के जाने लगी तो विनय एकदम से बोला "अच्छा मान ली तेरी बात ,तो कुछ बात कर लेते हैं बात तो कर सकती है ना तू ???

अवनी " बोल !!!!

विनय ने अवनी का हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया और बोला" एक बार अपनी छातियां दिखा दे ! मैं देख तो लूं !!!!

अवनी अपना हाथ विनय से छुड़ाने लगी और बोली " देख विनय मुझे छोड़ दे , मुझे घर जल्दी जाना है !!!

विनय ने अवनी की बात सुने बिना उसके कमीज के अंदर हाथ डाल दिया और अवनी अपने दुसरे हाथ से छटपटाते हुए विनय के साथ को पकड़ कर अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी !!

दूर खड़ी गीता को अवनी का दिखना बंद हुआ तो वो आगे अवनी की तरफ चलते हुए आ गई और विनय को अवनी के साथ बत्तमीजी करते हुए देख कर जोर से बोली" ये क्या कर रहा विनय तू छोड़ उसको !!!

विनय गीता की तरफ देखकर" तू उधर जा नहीं तो शाम को तेरे भाई को आकर बहुत कुछ झूठ भी बता दूंगा ना तो वो तुझे बहुत पीटे गा ,चल हट यहां से !!

गीता अपने भाई का नाम सुनकर पीछे हट गई !!

विनय ने अवनी का कमीज ऊपर उठा दिया और बोला " चल लेट यही पर .. जो बाद में करने के लिए मानी थी वो अभी कर ,चल खोल सलवार !!!

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