"" टांगे पूरी खोल !! हाथ पीछे कर ! फिर वो धुंधला साया नीचे लेटी औरत के मुंह पर तमाचो की बौछार कर देता है ! जब वो धुंधला साया उस औरत को बेरहमी से मारता था तो अवनी की नींद सहम कर खुल जाती थी ""
" क्या हर रिश्ता एक औरत के लिए हिफाज़त से भरा होता है...
अवनी चाकू हाथ में लिए बाहर बरामदे में आ गई !!! रात पूरे सन्नाटे को लपेट कर बीत रही थी !!!
अवनी के दिमाग में विचारों की आंधी चल रही थी उसका दिमाग एक के बाद एक बात सोच रहा था '' मैं मर भी गई तो किसको फ़र्क पड़ेगा ??? मैं वैसे भी शायद बोझ हूं इस धरती पर !!!! हर कोई मेरे जिस्म को नोचना चाहता है !!! अगर मैं मर जाऊं तो सब खत्म..... ना कोई डर.. सब कुछ शांत....!!!!!!!!
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अवनी अपने दिमाग की सोच के सैलाब में बहती हुई उस तेज़ धार वाले चाकू को देखने लगी !!! और जैसे ही उसने वो चाकू अपने पेट में मारने के लिए उपर उठाया तभी उसके दिल से ये आवाज़ आई " अवनी अगर इस चाकू के वार से तू ना मरी तो ??? अगर सिर्फ ज़ख्मी हो गई तो मां तो वैसे ही अधमरा समझ कर और मेरे जख्मों पर नमक लगाती रहेगी !!!
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यही सोच कर उसका हाथ रुक गया लेकिन तभी अंदर से मां की जोरदार आवाज आई" अरे अवनी अपने बिस्तर पर नहीं है !!!! कहां है ये छोरी आधी रात में ???
मां की तीखी आवाज से डर कर अवनी के साथ से चाकू ज़मीन पर जा गिरा " छननननननननननननन अवनी ने डर के वो चाकू उठाया और तेजी से रसोई की तरफ भागी !!!! और पानी का गिलास लेकर मटके से पानी लेने लग गई !!!