Chapter -9

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अवनी ने पीछे मुड़कर देखा तो चाचा ने उसकी बांह पकड़ रखी थी !!!!!!

अवनी चाचा से अपनी बांह छुड़ाने लगी तो चाचा का हाथ अवनी की बांह से उसकी पीठ पर आ गया!!!!

अवनी चाचा का मुंह देखने लग गई...तभी चाचा अवनी की पीठ पर धीरे धीरे हाथ फेरता हुआ बोला " अरे बिटिया!!!! हमसे काहे भागती हो ..?? हम तो तुम्हारे चाचा है !! देखो हमसे अच्छे से बात किया करो हम सब सिखा देगे तुमको !!!

अवनी चाचा से दूर हटकर गुस्से से बोली,:-  क्या सिखा दोगे चाचा तुम ...??? हां बोलो !!!! ब्रा कैसे पहनते हैं और अपनी बेटी जैसी लड़की के शरीर पर हाथ कैसे फेरते है !!!!! यही सिखाओगे ना तुम ???? बोलो ??

चाचा :-  अरे बिटिया !! तो बुराई भी क्या है इसमें !!! घर वाले ही तो ज्ञान देते हैं बच्चों को !! अभी तू वर्जिन है देख अगर बाहर कोई ग़लती कर ली तो तेरी जिंदगी खराब होगी !!! मैं सब सिखा दूंगा तो कुछ ग़लत नही होगा,समझी बिटिया !!!

अवनी गुस्से से बोली :-  चाचा !! बिटिया मत कहो तुम मुझे, क्योंकि कोई अपनी बेटी से ऐसे बातें नहीं करता और ना गंदी नज़र डालता !!

चाचा अवनी की बात पर तिलमिला कर अवनी की बांह पकड़ने के लिए आगे ही बढ़ा था कि अंदर से अवनी के बाबूजी कमरे से बाहर निकल आये और चाचा को देखते ही बोले :- अरे भाई, वहां दरवाजे पर क्यों खड़े हो ..?? अंदर आ जाओ,चाय बन रही है !!!

चाचा अवनी को घूरता हुआ थोड़ा आगे बढ़ता हुआ बोला :-  हां ..मंगा लो यही चाय..मैं यही आंगन में ही बैठता हूं !!!

बाबूजी भी आंगन में पड़ी कुर्सी पर बैठ गये और चाचा चारपाई पर बैठ गया !!!

अवनी बाहर के गेट के पास झाड़ू लगा कर  अंदर की ओर जाने लगी ...तभी बाबूजी बोले :-  बिटिया!!! दो कप चाय यही ले आओ और जल्दी से मेरा नाश्ता और टिफिन तैयार कर दो मैं निकलूं गा फिर काम पर !!!

अवनी चाचा की तरफ घूरते हुए अंदर चली गई और मन ही मन सोचने लगी कि ये घटिया चाचा कितना गंदा आदमी है क्या ये भी इतना बुड्ढा होकर मेरे साथ सेक्स करने के सपने देख रहा है ?? कितना नीच आदमी है ये !!! दिल करता है इसकी आंखें और जुबान नोच लूं !!!

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