Chapter - 3

1.3K 11 8
                                    

अवनी ने घर आते अपना बैग पिछले कमरे में रखा और हाथ मुंह धो कर पलंग पर लेट गई !!

बस अवनी ने आंखें ही बंद की थी कि मां की कर्कश आवाज कमरे में गूंजी " ले भाई .... पड़ गई या तो आके !!!! इतना बोझा ढ़ोके आई कि थक गई , घर में और लोग भी रहा करें, सबसे बात कर लिया कर !!

अवनी थोड़ा झल्ला के" अरे मां मैंने देखा चाचा और आप बैठे बात कर रहे थे तो मैं सीधा अंदर आ गई,मैंने सोचा कोई जरुरी बात कर रहे होंगे बस!!

मां" जरुरी बात कर रहे हो या नहीं तेरा तो फ़र्ज़ बनता है कि ना कि बड़ों को नमस्ते करके निकले !! तेरा चाचा मुंह बना रहा तुझे इस तरह से बिना बुलाए अंदर आ जाने से !!

अवनी ने मां की ओर देखा और मन में सोचा " कि मां तो जाने वाली नहीं यहां से जब तक मैं चाचा को नमस्ते नहीं कर आती !!!

अवनी लपक के उठी और बाहर बरामदे में बैठें चाचा के सामने जाके हाथ जोड़कर खड़ी हो गई और बोली" नमस्ते चाचा जी !!!

अवनी ने देखा चाचा तो उसके हाथ जोड़ने की तरफ ना देखकर उसकी छातियों की तरफ़ देख रहा था !!

अवनी नमस्ते कर के अंदर जाने लगी तो चाचा ने लपक के अवनी की बांह पकड़ ली और खींच कर चारपाई पर अपने आगे बिठा लिया और अपनी की पीठ सहलाने लगा !!

तभी मां भी आके चारपाई पर बैठने लगी तो फटाक से चाचा बोला " भौजी !!! जरा एक बढ़िया सा कप चाय का तो बना लाती !!!

मां चारपाई पर बैठने से पहले ही सर हिलाती हुई रसोई की तरफ चली गई !!

चाचा लगातार अवनी की पीठ को सहला रहा था और अपने बड़े बड़े बाहर निकले दांतों को निकाल कर अवनी की तरफ झुक कर दुसरे हाथ से अवनी की गाले सहलाने लगा और बोला " बिटिया की गाले तो बहुत नरम है ,एकदम रसगुल्ले जैसी !!

अवनी ने अपना मुंह छुड़ाना चाहा लेकिन चाचा का हाथ एकदम मुंह से अवनी की छाती पर चला गया !

अवनी एकदम झल्ला कर खड़ी हो गई और गुस्से भरी आंखों से चाचा को घूरने लगी ,तभी चाचा सकपका कर बोला " अरे बिटिया अपने बच्चों को हाथ लगा कर देखना ग़लत नहीं होता ये तो प्यार होता है !!

औरत(Women) 18+जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें