Chapter-2

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तभी... गौरव अवनी के पास आकर बोला" तू खाने की प्लेट लेकर क्यों बैंठी है ? खाती क्यों नहीं ??

गौरव के पीछे हिम्मत भी बाहर आ गया ! हिम्मत को देखते ही अवनी गौरव की तरफ देखते हुए तपाक से बोली " खाना इसलिए नहीं खा रही क्योंकि आज अपने भाई के साथ खाना चाहती हूं !

अवनी ने यह बात इसलिए बोली कि गौरव कहीं घर से बाहर ना चला जाये क्योंकि हिम्मत इसी इंतजार में खड़ा था कि कब गौरव घर से बाहर जाएं और वो अवनी के साथ जबरदस्ती करें !

अवनी की बात सुनकर गौरव मुंह सिकोड़ता हुआ बोला " मैं तो नहीं खा रहा ये दाल चावल , मैं तो बाहर जा रहा हूं अपने दोस्तों के पास !

अवनी फटाक से गौरव की बांह पकड़ती हुई बोली " भाई देख ले ! खाने के बाद आज तेरे साथ वो ओनलाइन गेम भी खेलूंगी और फिर भजिया बनाकर साथ में नई मूवी देखेंगे !

अवनी की बात सुनकर गौरव रुक गया और बोला " सच कह रही है कि झूठ ??

अवनी " भाई एकदम सच !! आज मैं भी सोच ही रही थी सुबह से ,कालेज का काम नहीं मिला ना आज !

उन दोनों की बातें सुनकर पीछे खड़ा हिम्मत अवनी की तरफ गुस्से से घूरता हुआ घर से बाहर निकल गया !

हिम्मत को घर से बाहर निकलते देख अवनी ने ठंडी सांस ली और आराम से चारपाई पर बैठ गई !!

ये किस्सा हर रोज का था ! अवनी अपने आप को कहीं भी सुरक्षित नहीं महसूस करती थी !

ना वो कालेज से आकर खाना ही खा पाई और ना कालेज के कपड़े ही बदल पाई थी ! अब तो उसकी भूख भी मर गई थी ! उसकी छातियों में बेतहाशा दर्द हो रहा था !

वो चारपाई से उठी और बे मन से अपने वादे के मुताबिक गौरव के साथ बैठ कर ओनलाइन गेम खेलने लग गई !!

तभी गौरव बोल उठा "" कैसे बिना दिमाग के खेल रही है तू गेम ! तेरा मेरे साथ खेलने का मन भी है कि नहीं ? या मुझे हमेशा की तरह पागल बना रही है ?

अवनी " नहीं भाई !! खेल तो रही हूं !

गौरव " भजिया भी बना कर देगी या नहीं ?

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