For India's 75th year of Independence
बचपन से आज तक
बचपन से आज तक मन में एक तमन्ना रही है |
इंडिया गेट की दीवारे छुने की तमन्ना रही है ,
वो अंगिनत नाम पढ़ने की छा रही है |
बचपन से आज तक,
बचपन से आज तक मन में एक तमन्ना रही है |
अमर ज्योति जवान को करीब से देखने की तमन्ना रही है ,
उन उड़ती अंगारों में वो प्रतिषोड की भावना को देखने की छा रही है |
कुछ बात तो होगी ना ?
कुछ बात तो होगी ना जो एक छोटे बच्चे का दिल भर आया?
कुछ बात तो होगी ना जो वर्षों पहले हुए उस बलिदान का मतलब उस नन्हे दिल को समझ आया?
ऐसे ही तो नहीं मैसूर के महल के वो बंद दरवाजे लाखों कहानियाँ सुना गए हमे ?
ऐसे ही तो नहीं वो बचपन से सुनती आई रानी लक्ष्मी बाई और चेतक की कहानियाँ इतना प्रेरित कर गई हमे?
आँखें मेरी तब भी नम थी, आज भी नम हैं और शायद हमेशा रहेंगी,
जलियाँ वाला बाग को कभी भुला नहीं पाएंगी |
हाँ चाहे सिर्फ फिल्मों में वो हत्याएं देखी
चाहे बचपन में 'रंग दे बसंती' में देखी
चाहे बड़े होकर 'फ़िलॉरी' में देखी
पर वह दृशय आजीवन दिल दुखाती रहेंगी |
बचपन से आज तक ,
बचपन से आज तक कितनी कितबे पढ़ी कितनी कहानिया सुन्नी
पर सबके अंत में एक ही सवाल होता था,
यह अंत एसा क्यूँ होता था?
वो छोटी सी इच्छा की काश काश पेशवा हारते नहीं,
की काश अंग्रेज आते नहीं,
की काश कुछ देश द्रोही होते नहीं,
तो भारत के वो वीर जवान जाते नहीं |
बचपन के बाद
बचपन के बाद आज समझ आया
की दुश्मन चाहे कोई रहा हो इस माटी का
इस माटी ने हमेशा है रखवालों को पाया
बचपन से आज तक ,
बचपन से आज तक शायद इसलिए रोना आया,
जब जब राष्ट्र गान गाया,
जब जब राष्ट्र ध्वज लहराता पाया|
अब पछतर वर्ष से ज्यादा होगए उन सभी वीर जवानों को गुज़रे हुए,
अब पछतर वर्ष होगए भारत को आजाद हुए हुए,
पर वो गर्व वो सम्मान,
वो सम्मोह वो आभार,
1947 से ना कभी कम हुआ और ना कभी हो पाएगा |
जय हिन्द !
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Short Stories and Poems
Short StoryThe following book is a collection of short stories and poems that I have written Thank you for reading them Please vote comment and share