2. DOOB JANE DO...

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"शिखा! जग भी जाओ,
सामर्थ्य की दीवारों में कभी तो अपना लक्ष्य पाओ!
क्यों ओढ़ी बैठी हो इस कंबल को चारों ओर,
ज़रा तो अपने मन की आस जगाओ!?

ये फूल है,
ये हवा है,
ढलता सूरज,
पर तुम्हारे पास तो हर सुविधा है..!
ग़म तो एक दरिया है,
डूबने का बस एक नया ज़रिया है...
तो उठ जाओ,
असमंजस में ना अपना जीवन गँवाओ!"

कहना आसान है ये सब चार दीवारों में,
चलना मुश्किल है काँटों से बिछी मेरी राहों में।
एक काँटा अब चुभ गया,
चुभ गया है तो बहने दो
इस ख़ून को,
इस दर्द को,
इस चीख़ की,
आवाज़ की सर्द को,
तो मुझे डूब जाने दो इस ग़म में...

आख़िर इस दर्द का किनारा भी देख लिया जाए,
मेरे रह-रह कर मर जाने की, वजह का अफ़साना भी देख लिया जाए...
ये लाल रंग,
जल रहा है अब
एक तिनका नहीं,
संसार था...

वो एक वजह,
मेरे जीने का आधार था,
तो हो गई है,
अब आँखें नम,
कुछ तो कहती हैं...
कुछ तो सुन लो..!

अब ना मुझे चलने का हाल दो,
मुझे डूब जाने दो इस समंदर में,
गहरा होता पानी उतना बढ़ता उसका दबाव,
मैं ना झील बनी ना नदी,
पानी से डर लग गया,
तैरना आता नहीं था,
इसलिए ये दर्द भी ना गया,
तो अब बस डूब जाने दो...

इस सर्द में,
इस दर्द में,
मर्ज़ कोई मिल जाए,
शायद इसी दर्द में...

"Shikha! Jag bhi jaao,
samarthya ki diwaro me kabhi to apna lakshya paao!
Kyu odhi baithi ho is kambal ko chaaro aur,
Zara to apne man ki aas jagao!?

Ye phool hai,
Ye hawa hai,
Dhalta suraj,
Par tumhare paas to har suvidha hai..!
Gum to ek dariya hai,
Doobne ka bas ek naya zariya hai...
To uth jaao,
Asmanjas me na apna jeewan gawao!"

Kehna aasan hai ye sab chaar diwaro mein,
Chalna mushkil hai Kaato se bichi meri raaho mein.
Ek kaanta ab chubh gaya,
Chubh gaya hai to behne do
Is khoon ko,
Is dard ko,
Is cheekh ki,
awaaz ki sard ko,
To mujhe dub jaane do is gum mein...

Aakhir is dard ka kinara bhi dekh liya jaye,
Mere reh reh kar mar jane ki, wajah ka afsaana bhi dekh liya jaye...
Ye laal rang,
Jal raha hai ab
Ek tinka nahi,
Sansaar tha...

Wo ek wajah,
Mere jeene ka aadhar tha,
To ho gyi hai,
Ab aankhe nam,
Kuch to kehti hai...
Kuch to sunlo..!

Ab na mujhe chalne ka hal do,
Mujhe doob jane do is samandar mein,
Gehra hota pani utna badhta uska dabaav,
Mein na jheel bani na nadi,
Pani se dar lag gaya,
Tairna aata nahi tha,
Isliye ye dard bhi na gaya,
To ab bas doob jane do...
Is sard me,

Is dard me,
Marz koi mil jaye,
Shayad isi dard mein...

Kavi Ya Kavita?Where stories live. Discover now