35. Vihaani's Dance Academy

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एक दिन कभी जो ख़ुद को तराशे
मेरी नज़र से तू ज़रा, हाय रे
आँखों से तेरी क्या-क्या छुपा है
तुझको दिखाऊँ मैं ज़रा, हाय रे
एक अनकही सी दास्ताँ-दास्ताँ
कहने लगेगा आईना
सुब्हान-अल्लाह, जो हो रहा है, पहली दफ़ा है
वल्लाह, ऐसा हुआ
सुब्हान-अल्लाह, जो हो रहा है, पहली दफ़ा है
वल्लाह, ऐसा हुआ
मेरी ख़ामोशी से बातें चुन लेना
उनकी डोरी से तारीफ़ें बुन लेना
हो, मेरी ख़ामोशी से बातें चुन लेना
उनकी डोरी से तारीफ़ें बुन लेना
कल नहीं थी जो, आज लगती हूँ
तारीफ़ मेरी है ख़्वाह-मख़ाह
तोहफ़ा है तेरा मेरी अदा
एक दिन कभी जो ख़ुद को पुकारे
मेरी ज़ुबाँ से तू ज़रा, हाय रे
तुझमें छुपी सी जो शायरी है
तुझको सुनाऊँ मैं ज़रा, हाय रे
ये दो दिलों का वास्ता-वास्ता
खुल के बताया जाए ना
सुब्हान-अल्लाह, जो हो रहा है, पहली दफ़ा है
वल्लाह, ऐसा हुआ
सुब्हान-अल्लाह, जो हो रहा है, पहली दफ़ा है
वल्लाह, ऐसा हुआ
सुब्हान-अल्लाह, जो हो रहा है, पहली दफ़ा है
वल्लाह, ऐसा हुआ
सुब्हान-अल्लाह, जो हो रहा है, पहली दफ़ा है
वल्लाह, ऐसा हुआ

𝘚𝘏𝘜𝘋𝘏 𝘋𝘌𝘚𝘐 𝘙𝘖𝘔𝘈𝘕𝘊𝘌Where stories live. Discover now