जिन्दगी एक किताब सी है...
मैं सिर्फ एक अदना सा पात्र हूँ ।
इस किताब के हर पन्ने पर...
मैं शब्दों में चरितार्थ हूँ ।।कुछ पन्नो पर दर्द लिखा है...
कुछ पन्नो पर संघर्ष लिखा है।
कुछ में थोड़ी खुशियाँ हैं...
कुछ में थोड़ी बेबसियाँ हैं।।वो पन्ने जो बाकी हैं...
कल उनको भी लिखा जायेगा ।
उम्मीद सुनहरे पन्नो की है...
जब पात्र, रचियता बन जायेगा ।।तब हर पन्नों की बातो में...
मेरी ही सच्चाई होगी ।
हर पन्नों के शब्दों में...
मेरी कलम की स्याही होगी ।।आखिरी पन्ना इस पुस्तक का...
ये लेखक कैसे लिख पायेगा ।
इन्सान का पात्र निभाया है...
इन्सान की मौत मर जायेगा ।।किताब होगी नयी जिन्दगी की...
मैं नया किरदार निभाऊँगा ।
किसी लेखक की नयी कल्पना का...
मैं नया पात्र बन जाऊँगा ।।____________________________________
नवनीत कुमार।
©®2016
सर्वाधिकार सुरक्षित।।
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