कुत्सित कुंठित व्यथित
दुःख वियोग से भरे मन को...
प्रसन्नतामयी शांति
पुलकित मिलनी चाहिए।
अंधकार से लड़ने को ,
भ्रान्ति दूर करने को...
ज्योति सी खडग या
तलवार धारित करनी चाहिए।।विलाप करना या रुदन,
नहीं सुहाता वीरो को ....
सीना तान शिखर पर
जोरदार टंकार करनी चाहिए।
इस अन्याय के खिलाफ,
अमीरों और फकीरों को...
मिलकर एक साथ, आवाज उठा,
एक प्रहार करना चाहिए।।पद , सत्ता , लालच को,
और ऐसे व्यवस्थापालक को...
व्यवस्था से ही व्यवस्थापूर्वक,
जड़ समेत उखाड़ देना चाहिए।
निष्ठुर , निपट , नीचो को,
राजनीती के रीछो को...
इन्ही की राजनीति से,
कर खात्मा, पछाड़ देना चाहिए।।_________________________________
नवनीत कुमार ।
©® 2016
सर्वाधिकार सुरक्षित ।।
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