आओ यारो !
कुछ करते हैं ...क्या?
अरे नहीं !लोग !
लोग तो , डरते हैं ...
आओ यारो !
कुछ तो करते हैं ...मौका है -
हमेशा होता है---
अरे ! मैं जानता हूँ
पर निठल्लो ! मैं तुमको भी -
अच्छे से पहचानता हूँ ...बोलो , है हौंसला
तुम कहो -
पक्षी सा उड़ जाने का ...
कुछ पाने का -
कुछ कर जाने का ....अयं , रहने दो तुम -
तुम तो हर बार -
दम भरते हो ...
सच बताओ यारो !
ठलुआ बैठे भी-
क्या करते हो ...अयं, क्या कहा ?
दुनिया बड़ी है !
क्या नही अब तुम बड़े -
सच बताना?...
अन्दर से तो तुम भी -
चाहते हो, आगे बढ़ जाना ...तो क्यों नहीं -
कदम बढ़ाते हो ...
थोड़ी सी हिम्मत-
कर जाते हो...
अयं, क्या कहा जी -
अच्छा.... शरमाते हो ...
यारो! क्यूँ जग में-
हंसी उडवाते हो ...बंद करो ये -
हँसना और हंसाना ...
तुमको है अब एक-
नयी पहचान बनाना ...अयं! क्या कहते हो ?
सपनो में तो -
हम भी राजा होतें हैं...
जागो यारो भ्रम से -
अब, असली में कुछ करतें हैं ...प्रण, तुम मुझसे एक करो ...
क्या कहा ? हाँ , तुम ?
हाँ तुम, मेरे प्यारे भारत के नाकारा !
अच्छा , मैं कौन हूँ ...
प्रण लेने वाला ?
सच कहते हो तुम आवारा !चलो यारो ,
तो खुद से ही वादा करो ...
पर भाई अब कुछ करो , कुछ करो.....____________________________________
नवनीत कुमार ।
©® 2016
सर्वाधिकार सुरक्षित ।।
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