दिदार

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तेरे दिदार को तरस गया हुं मैं
हर करवट तेरा चेहरा मेरे सामने होता है
तुझे अपने बांहो में,भरना चाहता हुं मैं
सपने में रोज आती हो तुम
तेरे आँखो में डूब जाना चाहता हूं मैं
हर लम्हा फुरसत का होता
घड़ी का कांटा हर वक्त प्यार के तरफ ईसारा करता
तुम मेरे बांहो मे होती
और मेरा सिर हमेसे तेरे कंधो पे होता
तू हर वक्त मुझे प्यार करती
और मैं! तेरे आँखो मे डुबा रहता
हर बार गलती मुझ से हो जाती है
जहं हर पल तेरे बांहो मे सिमट रहना था मुझे
वहीं हर पल ख्वाबे में रूलाता हुं मैं तुझे
सपनो में तेरे सायद मैं भी आता
हुंगा
मुझे लगता है तब भी तुझे मै !रूलाता ही हुंगा
तु जान है मेरी ये कहुं तो कम होगा
तु कायनात है मेरी ये कहुं तो भी कम होगा
क्या कहुं इतने कम शब्दोमें बयां नहीं करपाऊंगा
बस ईतना कहता हुं
मै जिसम हुं तो तूम प्रान हो
मैं दिल हुं तो तुम धड़कन हो
मैं तना हुं तो तुम पत्ती हो
मै राही हुं तो तुम मंजील हो
तुम मेरी जान हो जान हो जान हो जान हो

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⏰ पिछला अद्यतन: Feb 03, 2018 ⏰

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