लॉकडाउन

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कैसा बियाबान सा हुआ हर एक शहर है
चहुंओर छाया बस कोरोना का कहर है
कैसा अजीब सा सन्नाटे का शोर है
कोई भी नहीं दिखता कहीं किसी ओर है

पहली बार मार्च में मनाई हमने दिवाली
चलो इसी बहाने थोड़ी खुशियां तो आई
तालियां थालियां घंटियां बजीं
और हुआ शंखनाद
कैसा अद्भुत विहंगम दृश्य था
मेरी कॉलोनी में आज।

कैसी अजब सी यह दुशवारी है
डॉक्टर जिन्हें मरीजों को है बचाना
उन्हीं से बचने की भी जिम्मेदारी है
डाक्टर नर्स और पुलिस वाले
शत् शत् नमन है तुमको
अपना सब कुछ दांव पर लगा कर
बचा रहे हो हमको।

गलियां मोहल्ले सब सुने हुए
पर घर गुलजार हुआ
चलो इसी बहाने एक साथ
पूरा परिवार हुआ
लूडो कैरम और अंताक्षरी
एक साथ फिर से खेलने का
सपना साकार हुआ
मिल गई खुशियां और खिल गए दिल
रामायण ,महाभारत देखें
पूरा परिवार एक साथ मिल

ना आड है न इवन है
ना लोगों की रेलम पेल ,ना गाड़ियों का शोर है
शायद इसीलिए छाया ,प्रकृति का यौवन पुरजोर है
हमारी प्राण दायिनी नदियां गंगा यमुना सरस्वती
वर्तमान में स्वच्छ निर्मल अविरल है बहती

कहीं यह प्रकृति का का न्याय तो नहीं जो उसने हमें है सिखाया
हे मनुष्य अब तो संभल जाओ
वरना पड़ेगा पछताना
फिर ना कहना यह तो पहले था बताना।

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