8 मार्च को महिला दिवस बड़े जोर शोर से मनाया जाता है
पर क्या महिला के खाते में बस एक ही दिन आता है
स्त्री तो इस सृष्टि की जननी है, रचयिता है,निर्माता है,फिर क्यों उसके खाते में, सिर्फ एक ही दिन आता है।
सभी के चेहरे पर मुस्कान बिखेरती है।
सब की खुशी के लिए अपना सब कुछ लुटाती है।
क्या इसीलिए वह आज न्याय के लिए दर-दर भटकती है।
मत बांधो उसे एक दिन एक तारीख में
वह तो बंधी है हर दिन हर किसी की सांसो में
वह हर घर की गृहमंत्री और वित्त मंत्री है ।
वह सर्वस्व ज्ञाता हैं ।
उससे ज्यादा किसी को कुछ नहीं आता है।एक मकान को घर वही तो बनाती है।
इसीलिए पूरे घर की धुरी वह कहलाती हैं।।
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मेरी कविताएं मेरे एहसास......
Poésieमेरी कविताएं मेरे एहसास... इसमें मेरी विभिन्न कवितायें हैं । जिसमें से कुछ मेरे खट्टे मीठे अनुभवों पर आधारित है और कुछ कविताएं है जो मैंने अपनी कल्पना के सागर में गोते लगाकर कुछ मोती चुने हैं जिनको मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रही हूं । इस पुस्तक मे...