इजहारे इश्क

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तेरे गालों की सुर्ख लाली ,बता रही है मुझे,
कि प्यार तुझे भी है , बेपनाह मुझसे ।
वो इनकार तो , तेरा बहाना था,
दरअसल तुझे और भी ,करीब मेरे आना था ।
तेरी बातों की इस अबूझ पहेली मे ,
मैं पागल और बना दीवाना था ।
अब जाके समझ पाया हूँ ,
कि तेरा इनकार ही ,
इजहारे इश्क था दरअसल ।

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