घर आंगन

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ये फूलों की पंखुड़ियाँ चुन के ,
अपना दामन सजा लेती हूँ ।
बिखर गए हैं जो रिश्ते,
उनको जोड़ कर अपना,
घर आंगन बसा लेती हूँ।

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