आज फिर से, मदहोश हो जाने को जी चाहता है,
हर ख्वाहिशों पर मचलने को जी चाहता है ।
अपने सपनों को , इंद्रधनुषी रंगों से सजाने को जी चाहता है।
आज फिर से वही बीते हुए दिनों में ,
चले जाने को जी चाहता है ।
आज फिर से फूलों की खुशबू,
चुराने को जी चाहता है।
फिर से वही रंग बिरंगी तितली बनकर,
इधर-उधर मंडराने को जी
चाहता है।
आज फिर से खुली फिजा में,
यू बेफिक्र से बालों को लहराने का जी चाहता है।
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मेरी कविताएं मेरे एहसास......
Poetryमेरी कविताएं मेरे एहसास... इसमें मेरी विभिन्न कवितायें हैं । जिसमें से कुछ मेरे खट्टे मीठे अनुभवों पर आधारित है और कुछ कविताएं है जो मैंने अपनी कल्पना के सागर में गोते लगाकर कुछ मोती चुने हैं जिनको मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रही हूं । इस पुस्तक मे...