मदहोश

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आज फिर से, मदहोश हो जाने को जी चाहता है,
हर ख्वाहिशों पर मचलने को जी चाहता है ।
अपने सपनों को , इंद्रधनुषी रंगों से सजाने को जी चाहता है।
आज फिर से वही बीते हुए दिनों में ,
चले जाने को जी चाहता है ।
आज फिर से फूलों की खुशबू,
चुराने को जी चाहता है।
फिर से वही रंग बिरंगी तितली बनकर,
इधर-उधर मंडराने को जी
चाहता है।
आज फिर से खुली फिजा में,
यू बेफिक्र से बालों को लहराने का जी चाहता है।

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