1.प्रकृति (Prakriti)

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सूरज की किरणों से होता है सवेरा
चांद की चांदनी से होता दूर अंधेरा,
पंछियों के चहकने से आती सबके चेहरे पर मुस्कान
रौशनी से आती है सबके अंदर जान।

अगर ज्योति ना होती तो क्या होता संसार
जल स्रोत ना होता तो कैसे चलता यह ब्रह्माण्ड,
गर्मी के कारण लोग मर रहे हैं
धूप - ताप रोज़ घट - बढ़ रहे हैं।

बागों की हरियाली देख हवा भी मंद बह चली
पहाड़ों से उतर, इठलाती नदियां सागर को चली,
दिव्य रश्मि सी चमकती प्रकृति की सुंदरता
जहां नित्य मिलती नई ऊर्जा, ज्योत्सना, शीतलता।

पेड़ों की कमी से होती ग्लोबल वार्मिंग
दिन पर दिन घट रही हर चेहरे की उज्ज्वल चार्मिंग।

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Hello (Namaste) to all of you my lovely readers.
So, here is my first poem which I wrote in 2015. It's actually the first ever poem that I wrote with the help of my mother..she is the one who inspired me to write poems and let me tell you that she herself is an amazing poetess.

I hope you all like it. Sorry for any grammatical mistakes...you can always tell me that , so that it would be easier for me to correct it.

Loads of love❤❤️
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Enjoy reading 💖💖

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