भाग -१८ (Chapter- 18 Jab Se Mili Hain Mohan Tose Nazariyan ,Kho Gayi Hai Sudhbudh Ki Mose Gathariyan 🌺The moment I met you,i lost all my senses that very moment,My Mohan🌺)
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सबसे पहले राजू श्रीवास्तव जी के समस्त परिवार और प्रशंसक समुदाय को इस दुखद समय से उबरने की कामना करती हूं। कलाकार कहीं नहीं जाते,राजू जी भी अनंतकाल तक हर घर में ठहाकों,कहकहों के रूप में सदा चहकते रहेंगे।🌸
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प्रिया (पसीना पोंचते हुए)- संभाल अपने आपको प्रिया।सबकुछ ठीक है,तू अपने कल को अपने ऊपर हावी नहीं होने दे सकती।और इन्हें तो अपनी तकलीफ़ बिल्कुल भी नहीं दिखा सकती।...और प्रिया को राम का ख़्याल पीछे मुड़ने के लिए काफी था।
Priya (wiping the sweatbeads)-Hold yourself Priya.Everything is fine,you cannot let your past overshadow your present.Most importantly ,I cannot let him see my vulnerabilities.... and Ram's thought was enough for Priya to turn towards him.
और प्रिया का सामना उन दो चीजों से हुआ,जों प्रिया के सुकून से खिलवाड़ के लिए पुख़्ता वज़ह थीं...एक तो बारिश और दूसरी राम की आंखों में नमी...एक वक्त था जब बारिश की बूंदे प्रिया के मन में शूल सी चुभती थीं पर जब बड़ा ज़ख्म( राम की परवाह)सामने हो तो पुराने घाव नजरअंदाज हो जाया करते हैं,ऐसा ही कुछ प्रिया के साथ हुआAnd Priya was encountered with two things,which destroyed her peace of mind...one was the rain and other was tears in Ram's eyes .once upon a time,the raindrops used to act as daggers for Priya but when you have bigger crisis(Ram's wellbeing) to handle,old wounds get overshadowed,that's what exactly happened with Priya...
प्रिया (राम की ओर दौड़ते हुए)- अरे क्या कर रहे हैं आप? चलिए ,बीमार हो जाएंगे।
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छाप तिलक सब छीनी रे....
FanfictionDon't worry only title is in Hindi, English translation is provided along with the Hindi one 🌸 Yes,like all the admirers of RamPriya /NakuulDisha and the very idea of Bade Achhe lagte Hain 2,I am also fed up with the "Aatmghaati (self-destructive )...