🌼तुमको पाकर भी हूं मैं, तुमसे मिलन की आस में 🌼

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भाग - ३८ (Chapter -38 🌼Tumko Paakar Bhi Hoon Main,Tumse Milan Ki Aas Mein🌼 Even after I have finally found you,Still thus dear heart of mine,is in quest of finding you🌼)

मुझे विवाह की रीतियों के नाम पता हैं,उनका वर्णन मैंने उनके विषय में अपने मतानुसार किया है।हम विवाह की रीतियों को रूढ़िवादी और स्त्री विरोधी समझते हैं,पर उनके तल में आपकों समानता,स्त्री के महत्व के तत्व मिलेंगे। मैं मानती हूं कि स्त्रियों को समाज में अनेकों कठिनाईयां झेलनी पड़ीं हैं,पर इसका दोष समाज की मानसिकता को ही दिया जा सकता है।पुरुष ही नहीं, स्त्रियां भी इस दुषित मानसिकता से जकड़ी हुई हैं।समय के साथ हमने अपनी सुविधा अनुसार स्त्री को नए सिरे से परिभाषित किया है,हम आधुनिकता में आगे बढ़े,पर हमारी मानसिकता गर्त में जा रही है। यहां पंडित जी के शब्दों में मैंने विवाह और साथ ही समाज में स्त्री पुरूष के भेद नहीं,बल्कि भागीदारी को स्वर दिए हैं।आशा है कि अपने मंत्व्य में सफल रहीं होंगी। मेरा दृढ़ विश्वास है कि जो समाज समय के साथ बदलाव से कतराता है, वो इतिहास में अपनी मूढ़ मति के कारण जाना जाता है। पुरुषों को इसका दोषी मानना, नहीं सभी पुरुषों को इसका दोषी मानना उचित नहीं,एक स्त्री होने के नाते हम उन पुरुषों के योगदान को नकार नहीं सकतें,जो हमारे लिए खड़े हुए,और ना ही उन स्त्रियों को जो दूसरी महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकती हैं।बात फिर वहीं आकर थम जाती है कि ये लड़ाई एक वर्ग की दूसरे के विरुद्ध नहीं, बल्कि मानसिकताओं के बीच की है।धन्यवाद ✍️

I have an idea about the wedding rituals but I have tried to explain their significance as per my understanding of them.We think that our marriage customs are rudimentary/intolerance towards women but a deeper understanding the same will open the doors of a relationship of two equals wherein the importance of woman is highly revered .I don't shy away from accepting the brazen truth that women have been subjected to hostility since ages but the the real culprit is our low and biased mentality.With time, different labels were attached to women ,we did move on with new advancements but our thinking is hitting the new low every time.With the every word spoken by Pandit ji,I have tried to give my voice to the equality that the bond of marriage and society resound,not the biased treatment.I hope ,my words resonate with you all .I have a firm belief that a society which shies away from accepting the positive changes with the changing times,is registered in the history for its folly and adamant nature. Putting charges against all the men,is going to lead us nowhere as we can't afford to ignore those men in our lives,who stood the test of time and gave us ample opportunities to flourish nor can we simply turn a blind eye towards those women,who pull other women down.So it completes the circle that the war is not against a particular gender bu the other,but against the malicious outlook, attitude and mindsets. Thanking you✍️

छाप तिलक सब छीनी रे....Where stories live. Discover now